होली
स्याम मोसों खेलो न होरी, पाँव पडूं कर जोरी
सगरी चुनरिया रँग न भिजाओ, इतनी सुन लो मोरी
झपट लई मोरे हाथ ते गागर, करो मती बरजोरी
दिल धड़कत मेरी साँस बढ़त है, देह कँपत रँग ढोरी
अबीर गुलाल लिपट दियो मुख पे, सारी रँग में बोरी
सास ननँद सब गारी दैहैं, आई उनकी चोरी
फाग खेल के मोहन प्यारे, क्या कीनी गति मोरी
‘सूरदास’ गोपी के मन में, आनन्द बहुत बह्यो री

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