श्री कृष्ण स्मरण
सभी तज भजिये नंदकुमार
और भजें ते काम सरे नहिं, मिटे न भव जंजार
यह जिय जानि, इहीं छिन भजि, दिन बीते जात असार
‘सूरदास’ औसर मत चूकै, पाये न बारम्बार
श्री कृष्ण स्मरण
सभी तज भजिये नंदकुमार
और भजें ते काम सरे नहिं, मिटे न भव जंजार
यह जिय जानि, इहीं छिन भजि, दिन बीते जात असार
‘सूरदास’ औसर मत चूकै, पाये न बारम्बार
इसकी व्याख्या बता दीजिये plz
सब कुछ छोड़ कर सिर्फ कृष्ण को भजे
किसी और को भजने से काम बनने वाला नहीं और भाव सागर के जंजाल से नहीं छुट पाएंगे
जो जीव ये जानता हैं वो दिन और रात इन्हे ही भजता हैं
उसे ये पता हैं ये मौका और ये जन्म बार बार नहीं मिलने वाला 🙏🏻