चिरजीवो गोपाल
रानी तेरो चिरजीवो गोपाल
बेगि बढ्यो बड़ी होय बिरध लट, महरी मनोहर बाल,
उपजि पर्यो यह कूखि भाग्यबल, समुद्र सीप जैसे लाल
सब गोकुल के प्राण जीवनधर, बैरन के उर साल
‘सूर’ किते जिय सुख पावत है, देखत श्याम तमाल
राज अंजन लागो मेरी अँखियन, मिटे दोष जंजाल