गौ चारण लीला
मैं अपनी सब गाइ चरैहौं
प्रात होत बल के संग जैहौं, तेरे कहे न रैहौं
ग्वाल-बाल गाइनि के भीतर, नेकहु डर नहिं लागत
आजु न सोवौं, नंद-दुहाई, रैनि रहौंगो जागत
और ग्वाल सब गाइ चरैहैं, मैं घर बैठौ रैहौं
‘सूर’ श्याम, तुम सोइ रहो अब, प्रात जान मैं दैहौं