रास लीला
बिहरत रास रंग गोपाल
नवल स्यामहि संग सोभित, नवल सब ब्रजबाल
सरद निसि अति नवल उज्जवल, नव लता बन धाम
परम निर्मल पुलिन जमुना, कलपतरु विश्राम
कोस द्वादस रास परिमिति, रच्यो नंदकुमार
‘सूर’ प्रभु सुख दियो निसि रमि, काम कौतुक हार
रास लीला
बिहरत रास रंग गोपाल
नवल स्यामहि संग सोभित, नवल सब ब्रजबाल
सरद निसि अति नवल उज्जवल, नव लता बन धाम
परम निर्मल पुलिन जमुना, कलपतरु विश्राम
कोस द्वादस रास परिमिति, रच्यो नंदकुमार
‘सूर’ प्रभु सुख दियो निसि रमि, काम कौतुक हार