श्री राधा की प्रीति
तब नागरि मन हरष भई
नेह पुरातन जानि स्याम कौ, अति आनंदमई
प्रकृति पुरुष, नारी मैं वे पति, काहे भूलि गई
को माता, को पिता, बंधु को, यह तो भेंट नई
जनम जनम जुग जुग यह लीला, प्यारी जानि लई
‘सूरदास’ प्रभु की यह महिमा, यातैं बिबस भई
श्री राधा की प्रीति
तब नागरि मन हरष भई
नेह पुरातन जानि स्याम कौ, अति आनंदमई
प्रकृति पुरुष, नारी मैं वे पति, काहे भूलि गई
को माता, को पिता, बंधु को, यह तो भेंट नई
जनम जनम जुग जुग यह लीला, प्यारी जानि लई
‘सूरदास’ प्रभु की यह महिमा, यातैं बिबस भई