भक्त के भगवान
जैसे तुम गज को पाँव छुड़ायौ
जब जब भीर परी भक्तन पै, तब तब आइ बचायौ
भक्ति हेतु प्रहलाद उबार्यो, द्रौपदी को चीर बढ़ायौ
‘सूरदास’ द्विज दीन सुदामा, तिहिं दारिद्र नसायौ
भक्त के भगवान
जैसे तुम गज को पाँव छुड़ायौ
जब जब भीर परी भक्तन पै, तब तब आइ बचायौ
भक्ति हेतु प्रहलाद उबार्यो, द्रौपदी को चीर बढ़ायौ
‘सूरदास’ द्विज दीन सुदामा, तिहिं दारिद्र नसायौ