हरि कृपा
जा पर दीनानाथ ढरै
सोइ कुलीन, बड़ो सुन्दर सोई, जा पर कृपा करै
रंक सो कौन सुदामा हूँ ते, आप समान करै
अधिक कुरूप कौन कुबिजा ते, हरि पति पाइ तरै
अधम है कौन अजामिल हूँ ते, जम तहँ जात डरै
‘सूरदास’ भगवंत-भजन बिनु, फिरि फिरि जठर परै
हरि कृपा
जा पर दीनानाथ ढरै
सोइ कुलीन, बड़ो सुन्दर सोई, जा पर कृपा करै
रंक सो कौन सुदामा हूँ ते, आप समान करै
अधिक कुरूप कौन कुबिजा ते, हरि पति पाइ तरै
अधम है कौन अजामिल हूँ ते, जम तहँ जात डरै
‘सूरदास’ भगवंत-भजन बिनु, फिरि फिरि जठर परै